वीडियो जानकारी:<br />शब्दयोग सत्संग,<br />२८ दिसंबर, २०१८<br />अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br /><br />मैं घर जारा आपना, लिए लुकाठी हाथ।<br />जो घर जारे आपना, चले हमारे साथ।।<br /><br />अर्थ: संत कबीर कहते हैं कि उन्होंने अपना घर जला दिया है और उनके हाथ में जलती हुई लकड़ी है। अगर है हिम्मत घर को जला डालने की, राख कर देने की तो आओ हो लो हमारे साथ।<br /><br />~ संत कबीर<br /><br />क्या घर जलाए बिना मुक्ति संभव नहीं है?<br />गुरु कबीर किस घर को जलाने की बात कर रहे हैं?<br />किस घर को रौशन करना है?<br />जीव का मूल घर कौन सा होता है?<br />क्या मुक्ति के लिए घर छोड़ना ज़रूरी है?<br />कबीर साहब को कैसे समझें?<br />घर से मोह कैसे छोड़ें?<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते